हम उन्हें कितना भी मनाले
हम उन्हें कितना भी मनाले
पर वो मानते नहीं
करते है उनसे बेपनाह मोहब्बत
ये वो जानते नही
बेब्जाह ही रूठ जाते है वो
पर ये वो जानते नही
हम उन्हें कितना भी मनाले
पर वो मानते नहीं
हमको ये भी मालूम है
आता उनको गुस्सा बहुत है
पर ये वो जानते नही
गलती हर बार की तरह उन्हीं की होती है
पर फिर भी वो मानते नहीं
गुस्से में भी छुपी रहती है सादगी भरी मुस्कान
ये भी वो जानते नहीं
हम उन्हें कितना भी मनाले
पर वो मानते नहीं
करते है उनसे बेपनाह मोहब्बत
ये वो जानते नही
और कभी हमको आ जाये गुस्सा
तब हमरे गुस्से को वो पहचानते नहीं
और अपने नाम की तरह
हमपर ही बरस पड़ते है
SOrry बोलना तो वो जानते ही नहीं
हम उन्हें कितना भी मनाले
पर वो मानते नहीं
करते है उनसे बेपनाह मोहब्बत
ये वो जानते नही
कभी कभी तो ऐसा लगता है
तीन सालों में वो हमें अभी जाने ही नहीं
हमरी तरह हमसे प्यार करने की वो ठानते नहीं
हम उन्हें कितना भी मनाले
पर वो मानते नहीं
जब से ऐक नया क्या दोस्त बन गया है उनका
अब तो हमे वो पहचानते ही नहीं
कहते थे कि ज़ाना
छोड़के न जाएँगे
पर अब वो साथ ही नहीं
कहने को तो सीख लिया है
हमने भी जीना अकेले
और अब वो याद भी नहीं
अब हम उनको कितना भी शताले
पर वो डाँटते नहीं
क्यों कि वो अब हमारे
साथ ही नहीं साथ ही नहीं
✍️ D k ~ मेरी पहली कविता