हम आम से खास हुए हैं।
वो तशरीफ क्या लाए हुजरें में हमारें।
हर जुबां पर हो रहे हैं बस चर्चे हमारें।।
अजनबी से थे इस शहर में सबसे ही।
हम आम से खास हुए हैं शहर में सारे।।
ना मालूम था रहमत यूं नाजिल होगी।
देखो सलामी देने आए है चांद सितारें।।
कौन गवाही देगा कि ये हकीकत में है।
यकीं ना हो रहा है हमें आलम में सारे।।
इक पल में बदला मुस्तकबिल हमारा।
वो बनके आए खुशी जिंदगी में हमारे।।
परिंदों से कहो लौट आए अपने घरको।
हर फूल ही महका है गुलशन में हमारें।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ