*हमेशा साथ में आशीष, सौ लाती बुआऍं हैं (हिंदी गजल)*
हमेशा साथ में आशीष, सौ लाती बुआऍं हैं (हिंदी गजल)
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(1)
भतीजों पर लुटाने प्यार, घर आती बुआऍं हैं
हमेशा साथ में आशीष, सौ लाती बुआऍं हैं
(2)
पिता-बाबा के बीते संग, इनको याद किस्से हैं
इसी से संस्कारों को, निभा पाती बुआऍं हैं
(3)
पिता-बाबा के आँगन में, पली हैं यह मधुर कलिका
महक से मैके की ससुराल, महकाती बुआऍं हैं
(4)
पुराना छिड़ गया किस्सा, तो फिर किस्से नहीं थमते
हजारों याद बचपन वाली, दोहराती बुआऍं हैं
(5)
ढलीं संयम के सॉंचे में, दादी और बाबा के
पुराने दौर के इतिहास, की थाती बुआऍं हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451