#हमें मजबूर किया
#नमन मंच
#दिनांक २९/१०/२०२४
#विषय हमें मजबूर किया
#विद्या गीत
कुछ पाना चाहूं… पा..न सकूं..
कुछ करना चाहूं… कर..न सकूं..
तकदीर. ने. हमें.. मजबूर. किया !
पाने की तमन्ना कुछ और थी,
ये क्या दिया तूने बेदर्द पिया,
तकदीर ने हमें मजबूर किया !
पाने की तमन्ना कुछ और थी,
ये क्या दिया तूने बेदर्द पिया,
तकदीर ने हमें मजबूर किया !
हो तुम ही शमां और मैं परवाना…
हो तुम ही शमां और मैं परवाना,
छोड़ तुझे अब जाना कहां,
दुनिया में हमें नफरत के शिवा
कुछ ना मिला.. कुछ ना मिला !
तकदीर ने हमें मजबूर किया,
पाने की तमन्ना कुछ और थी,
ये क्या दिया तूने बेदर्द पिया,
तकदीर ने हमें मजबूर किया !
किसी के लिए अब जीना है…
किसी के लिए अब जीना है.,
मजलूमों के आंसू पोंछना है !
बेरहम जमाने ने देखो अपनों
को नहीं छोड़ा.. नहीं छोड़ा,
तकदीर ने हमें मजबूर किया !
पाने की तमन्ना कुछ और थी,
ये क्या दिया तूने बेदर्द पिया,
तकदीर ने हमें मजबूर किया..!
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान