हमें न पत्थरबाज चाहिए
होना सबका काज चाहिए,
हमको ऐसा राज चाहिए
जिसे फ़िक्र हो आम जनों की,
सर पर उसके ताज चाहिए
अन्दर बाहर सदा एक हो,
हमको वह आवाज चाहिए
नया मुकाम अगर है पाना,
एक अलग अंदाज चाहिए
भेदभाव हो नहीं जहाँ पर,
ऐसा हमें समाज चाहिए
छुपे हुए हैं जितने रुस्तम,
खुलने सबके राज चाहिए
सर्व धर्म समभाव रहे बस,
हमें न पत्थरबाज चाहिए