$ ‘हमें तो श्याम ही भाता’
हमें तो श्याम ही भाता,
ज़ुबां पे नाम ये आता।
वफ़ा से जो पुकारा है,
उसे देता सहारा है।।
सुदामा द्वार जब आया,
बड़ा था श्याम हर्षाया।
सखा की पीर को जाना,
दिया था ख़ूब नज़राना।।
यशोदा नंद के लाला,
जिन्होंने स्नेह से पाला।
कभी गाएँ चराई थी,
हराया नाग भी काला।।
तुम्हीं ने कंश को मारा,
नहीं था जो कभी हारा।
निभाई धर्म से यारी,
खिलाई कर्म की क्यारी।।
कहीं राधा कहीं मीरा,
तुम्हारा प्रेम है हीरा।
तुम्हारे नेक हैं नाते,
सहारा मौन हैं पाते।।
रही मुस्क़ान प्यारी है,
बजाई तान न्यारी है।
तुम्हीं हो शंख दीवाने,
मयूरा-पंख को जाने।।
गले में गूंज की माला,
शौक़ है बाँसुरी पाला।
लुभाते हो अदाओं से,
सुहाते हो निगाहों से।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
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