हमें जिद है…
लगी है ज़िद तुझे हर हाल में दिल में बसाने की….
मनाने की तुझे तेरी वफा को आजमाने की …
झुकाने को करे चाहे जमाना हर सितम हम पर
मगर अब ठान ली हमने जमाने को झुकाने की
तुम्हारे नाम पर जीना तुम्हारे नाम पर मरना..
फ़कत इतनी जरूरत है मे’रे इस दिल दिवाने की
ज़फा की आग सहने की हमें आदत बहुत है हाँ…
च़रागो को कहो जाकर न सोचें भी जलाने की
तिरी सोहबत में हम आश़की ही सीख पाये हैं..
सिखा दे यार हमको भी अदा तू दिल जलाने की
तुझे हमसे नहीं है आज माना प्यार थोड़ा भी ….
हमें भी आरजू है यार को अपना बनाने की.
रुकी सी हो गई धङकन बची ना सांस सीने में..
करी कोशिश कभी हमने तुम्हें जब भी भुलाने की