हमारे रिश्ते में ये दरार जो आयी है
हमारे रिश्ते में, ये दरार जो आयी है।
छोटी नहीं ये तो, बड़ी गहरी खाई है।
सोंचा न था, बात इतनी बिगड़ जाएगी
हम दोनों के दरमियाँ, दूरियां लाएगी।
गलतफहमियों का ये, तेरा अम्बार,
छीन लेगी ये, हमारा बरसों का प्यार।
ये सोंच कर अब आँख ये भर आयी है।
हमारे रिश्ते में ये दरार जो आयी है।
रिश्तों की बुनियाद, होती है विश्वास से।
शक की नहीं जगह, किसी अपने के पास से।
विश्वास के जल से, बढ़ता है प्रेम का बीज।
निकलते है फूल, आता है खुशियों का तीज।
मुरझा जाता है पौधा, जो पड़े शक की परछाई है।
हमारे रिश्ते में ये दरार जो आयी है।
बड़ा मुश्किल होता है, अपमान का घूँट पीना।
कुरेदते हुए जख्मो को, बार बार खुद से सीना।
जख्म भर भी जाये, तो दर्द होता नहीं है कम।
कैसा दिया है ये दुःख, जो होता नहीं ख़तम।
न जाने अब जिंदगी, किस मोड़ पर ले आयी है।
हमारे रिश्ते में ये दरार जो आयी है।
छोटी नहीं ये तो, बड़ी गहरी खाई है।