हमारे भीतर का बच्चा
फ़ुरसत से मिलेंगे कभी
यही सोचते रह जाओगे
समय का पहिया चलता रहेगा
कभी न मिल पाओगे
जाने कौन घड़ी में आ जाए बुलावा
ख़्वाब अधूरे ही रह जाएँगें
जब तक नहीं निकालोगे समय
सपने सपने ही रह जाएँगें
मिलने से ही अपने अपने नज़र आते हैं
मिलकर हम भी खुश हो जाएँगें
फिर बैठकर याद करेंगे वो बचपन के दिन
और कुछ पल बचपन में खो जाएंगे
बीता वक्त वापिस नहीं आता, लेकिन
कुछ देर बीते वक्त को याद करेंगे
जाकर बचपन की यादों में
कुछ पल बचपन के जीवंत करेंगे
भूलकर बोझ जिम्मेदारियों का
चंद पलों के लिए बच्चे बन जाओगे
है ज़िंदा वो बच्चा अभी भी तुममें कहीं
तभी तुम ये राज़ जान पाओगे
निकलने दो बाहर उसको भी कभी
जब पुरानी यादों को मिलकर समेटोगे
भर जाओगे अक्षय ऊर्जा से तुम
जो अपने अंदर के बच्चे को बाहर लाओगे।