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18 Jan 2019 · 1 min read

“हमारे पेड”

ना जाने कीतनेही पेड कटते है,
जो हमारे लिए खास होते है.
कब हम समझेंगे की,
पेड हमारे श्वास होते है…

कया नही देते है पेड हमे,
फल और फुलोका वो राजा है.
उसकी कीतनेही शाखावो पे,
जाने कीतनेही पन्छीयो का बसेरा है…

हमसे लेता नही वो कभी कुछ,
निस्वार्थ भावना से सिर्फ देता है.
उसके पत्ते और मुली से,
हम मूल्यवान औषधी बनाते है…

बरसात हो या धुपकाला,
सभी ऋतुसे हमे बचाता है.
उसके तणे पर सर रखकर,
हमे माँ की गोद की यांद आती है…

पेड हमे इतना सब कुछ देकर भी,
हम उसे कया देते है.
थोडे से फायदे के लीए हम,
अपनी माँ के गोद को काट देते है…

कितना स्वार्थी बन गया है इंसान,
अब भी वक्त है सुधर जा.
नही तो पाणी के एक एक बुन्द के लीए,
दर दर भटकता रह जायेगा…

Language: Hindi
214 Views
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