हमारे पापा
मेरी ताकत, मेरी शोहरत, मेरी शान हमारे पापा।
मेरा जीवन, मेरा अर्पण, मेरी जान हमारे पापा।।
सबसे पहले दुनियां का, जिसने ज्ञान दिलाया है।
नतमस्तक मै उनके आगे, मेरी पहचान हमारे पापा।।
खुद के लिए रहे तरसते, अरमान हमारे पूरे किए।
धूप धुंध बारिस न देखें, मेहनतकश रहे मेरे लिए।।
मेरे भविष्य को अपना, सुस्वप्न बतलाते हमारे पापा।
चिंता में भी निचिंत से, खुद को दिखलाते हमारे पापा।।
याद है मुझको वो रातें, जब बीमारी में कटती थी।
सारी सारी रात आंखों में, काट काट माँ जगती थी।।
उन रातों में बेचैनी से, करवटे बदलते हमारे पापा।
बंद आखों से परेशानी में, रहते जगते हमारे पापा।।
माँ की ममता है अतुलनीय, पिता सर्वदा साथ रहे।
ईश्वर से है यही कामना, हर सर दोनो का हाथ रहे।।
कभी कभी हैं डाँट लगाते, कभी दुलारते हमारे पापा।
अब भी अक्सर बतियाने को, देखो पुकारते हमारे पापा।।
✍🏻 ©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०८/०५/२०२२)
– वाराणसी (उत्तरप्रदेश)