हमारे धर्म ध्वज के वाहक !
शंकराचार्य हैं, हमारे धर्म ध्वज के वाहक,
इनके विरुद्ध खड़े हैं, जो नाहक,
वह हैं सिर्फ, तथा कथित परिषद् के प्रचारक,
नहीं उनकी कोई ऐसी हैसियत,जो माने जाएं विचारक!
हम सनातनधर्म वालों की,
चार पीठ हैं,
यही हमारी आस्था की रीढ हैं,
इनकी विरासत से मिलती हमें सीख है!
बाकी तो जो भी हैं,,
सेक्क रहे हैं राजनीतिक रोटी,
इनकी खालें हैं,बहुत मोटी,
ये अपना नफा नुकसान आंक कर,
चलते हैं दांव पर दांव,
ज्यूं ही लगता है होने को नुकसां,
पीछे खींच लेते हैं अपने पांव!
इनका कोई ठौर ठिकाना नहीं,
ये सिर्फ होते हैं मतलबी,
कब से हम ये देखते आ रहे हैं,
ये न किसी के सगे,न पराए हैं,
ये हमारे अजमाए हैं!
हमें तो गर्व है अपने शंकराचार्यों पर,
जो हमारे धर्म ध्वज वाहक है,
वही सच्चे विचारक हैं,
यही तो हैं, जो हमारे उद्धारक हैं!!