हमारे देश की कानूनी कार्रवाई/ प्र्रक्रिया
जब हमारे देश में बड़े से बड़ा अपराध घटित होता है।
तब प्रतिक्रिया बहुत होती है।
लोग और मिडिया बहुत जबरदस्त तरीके से उछालते हैं।
लोगों को इकट्ठा करते हैं , विरोध प्रर्दशन करते हैं।जब तक कानून अपना काम करता रहता है।उसके ऊपर विरोध प्रर्दशन का कोई असर नहीं होता है। बड़ी बड़ी कानूनी एजेंसी सब अपने अपने तरीके से काम करते रहते हैं। और आम जनता पर भी कोई असर नही होता है।नाटक बहुत होते रहते हैं। ऐसा लगता है कि भारत
की सौ प्रतिशत जनता जागरूक हो चुकी है। फिर कानूनी कार्रवाई की चाल इतनी धीमी गति से चलेगी,कि अंतिम सांस तक न्याय मिलना बड़ा मुश्किल होता है। और ज्यादा देर से न्याय मिलना भी अन्याय के समान है। फिर हमारे देश की कानून में बहुत सारी खामियां व्याप्त है। बहुत प्रकार से अनुसंधान होता है।की तरह से लोगों के वयान लिए जाते हैं।इस दौरान अपराधी को संभलने का मौका मिल जाता है। यही कानून सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है। झूठ को सच और सच को झूठ में बदलने की कार्रवाई चलती रहती है। और कानून की कमजोरी का फायदा उठाकर अपराधी बच निकलता है