हमारे जैसा ये दिल कहाँ पाओगे
मिल जाएगें हमारे जैसे लाखों मगर
हमारे जैसा ये दिल कहाँ पाओगे।
जहाँ सिद्दत से तुम्हारी हिफाज़त होती है
तुम ऐसी महफ़िल कहाँ पाओगे।
मेरी हकीकत की तरह हो तुम
और इस हकीकत के काबिल कहाँ पाओगे।
मैने तुझे कातिल करार दिया है
मर के भी तुम्हारी दुआ में शामिल कहाँ पाओगे।
जिस्म मर गया पर ये दिल जिन्दा रहा
जिन्दा लोगों में ये जिन्दा दिल कहाँ पाओगे।
कत्ल कर लिया खुद के चैन और सुकून का
शरीफों के मोहल्ले में मुझसा कातिल कहाँ पाओगे।
अश्क को स्याही बनाकर इश्क लिख रहा हूँ
जहाँ तेरा नाम इबादत हो, ऐसी मंजिल कहाँ पाओगे।