हमारे खिलाफ साजिश हो कई
हमारे खिलाफ साजिश हो कई
फिर भी हम मौन रहा करते हैं |
वह कौन से लोग हैं मेरे खास
जो मेरे पीछे मेरा बुरा करते हैं |
मार्ग में मिले हुए हर जख्म को
हंसते हंसते हम साहा करते हैं |
कांटो से भरी राहा चाहे हमारी
हम उसे आसान राहा करते हैं |
हाथ थामो जिसका बढ़ाने को
वो हमको को पीछे करते हैं |
अजीब लोग हैं यार ,यह सरल
यह पता नहीं क्या करते हैं ….|
✍कवि दीपक सरल