Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2020 · 4 min read

हमारे असली हीरो है नर्सें, पुलिस कांस्टेबल और मैडीकल सफाई-कर्मी

हमारे असली हीरो है नर्सें, पुलिस कांस्टेबल और मैडीकल सफाई-कर्मी

(जब हर घर के दरवाजे बंद थे तो यही वो लोग है जो आपकी पल-पल की खबर ले रहे थे, आपकी हर सहायता अपनी जान दांव पर लगाकर कर रहे थे, तो फिर आज जब इनको हमारी जरूरत है तो हम क्यों इनके लिए आगे नहीं आ रहे?)

—-प्रियंका सौरभ

बेशक समाज एवं सरकार के अलग-अलग पक्ष अपने-अपने धरातल पर कोरोना महामारी से जन-समाज को बचाने और वायरस पर अंकुश लगाने के लिए कर्त्तव्य-निष्ठा के साथ जुटे हुए हैं, परन्तु इस जंग में पहली कतार में बड़ी कुर्बानी देने वाले नर्सें, पुलिस कांस्टेबल और मैडीकल सफाई-कर्मी शामिल हैं। इस समुदाय के कर्मचारी प्रारम्भ से ही कोरोना महामारी के विरुद्ध पूरी प्रतिबद्धता एवं निष्ठा के साथ संघर्षरत हैं। इसी कारण ये लोग कोरोना वायरस के सीधे निशाने पर रहते हैं, परन्तु कितने खेद और आश्चर्य की बात है कि सरकारी नीतियों और सत्ता-व्यवस्था के चाबुक का सबसे बड़ा शिकार भी इसी वर्ग को बनना पड़ रहा है। बेशक इस वर्ग के प्रति प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इस व्यवस्साय से जुड़े लोगों की मानसिकता को आघात् पहुंचा है.

विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से अपने प्राणों के खतरे को साथ लेकर बुनियादी सेवाएं प्रदान करने वाले सचमुच ये योद्धा कार्यकर्ता देश की सामाजिक कल्याण प्रणाली की रीढ़ हैं। मगर इनके लिए उन शर्तों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है,जिनके तहत वे काम करते हैं।प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इस व्यवस्साय से जुड़े लोगों की मानसिकता को आघात् पहुंचा है, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी ने जहां इस समुदाय के लोगों को ढाढस बंधाया है, वहीं सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय इन लोगों की निष्ठा, प्रतिबद्धता और इनके शौर्य को मान्यता भी प्रदान करता है।

फ्रंटलाइन सरकारी कर्मचारी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और सार्वजनिक सेवा वितरण के सच्चे कार्यान्वयनकर्ता हैं। वे जमीनी स्तर पर काम करते हैं, इस प्रकार नागरिकों की बेहतर आवश्यकताओं के बारे में जानते हैं, जिससे एक प्राथमिक फीड-बैक कलेक्टर के रूप में कार्य किया जाता है। मगर हैरानी की बात है कि अपनी जान पर खेलकर लोगों कि जान बचने वाले इन योद्धा कार्यकर्ताओं के कार्यों को इनकी ड्यूटी का हिस्सा मानकर शून्य कर दिया जाता है, कोरोना के विरुद्ध जंग में जिस वर्ग की भूमिका और दायित्वशीलता सर्वाधिक अहम् रही है, आज हमारी व्यवस्था उन्हीं को अपने निशाने पर ले रही है। कहाँ तो इनको अग्रिम कतार के योद्धा होने के कारण अतिरिक्त सुविधाएं दी जानी चाहिएं थी , और कहां हो यह रहा है कि कोरोना संक्रमित हो जाने पर ये अपनी जान बचाने को तरस रहे है, सबकी जान बचाने वालों की की खुद जान खतरे में जा रहे है, यदि इन में से किसी सदस्य को एकांतवास अथवा क्वारेंटाइन में जाना पड़ा है, तो इन दिनों का उसका वेतन ही काट लिया जा रहा है, कहीं-कहीं पर तो इनको महीनों का वेतन भी नहीं मिला है.

नर्से, पुलिस और सफाई कर्मचारी आज काम के घंटों और वेतन आदि की समस्याओं से त्रस्त हैं। नर्सों का वेतन तो फिर भी थोड़ा अच्छा है लेकिन देश भर में पुलिस और सफाई कर्मचारियों को इतना वेतन नहीं दिया जाता है जिसके वे हकदार है. दूसरा इनके ड्यूटी के घण्टे इतने मुश्किल होते है कि उनके मुताबिक इनको वो सुविधाएँ नहीं मिल रही है जिससे ये अपने काम को आसान कर सके. बड़े अफसरों का दबाव इनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर कर रहा है, अफसरों के जुबानी आदेशों को इनको हर हाल में पूरा करना पड़ता है . इन वर्ग के लोगों की संतुष्टि के लिए देश और समाज को प्रत्येक सम्भव उपाय करना आज बहुत ज़रूरी है।

सुरक्षित कार्य वातावरण की कमी उन्हें संवेदनशील बनाती है। फ्रंटलाइन वर्कर्स के सामने आने वाले ऐसे मुद्दों के प्रभाव के परिणामस्वरूप आज इनका मनोबल कम होता जा रहा है. इनको ऐसा लगने लगा है कि इनके कार्यों को समाज में उस तरिके से नहीं देखा रहा है जिस भावना से इन्होने अपने कार्यों को अंजाम दिया है. देश के कई भागों में लोगों की इनके प्रति हेय दृष्टि से इन बातों को सच साबित कर दिया. कोरोना के प्रति लापरवाह होते हिन्दुस्तान में ये बिना समुचित किटों एवं अन्य उपकरणों के अभाव में बड़ी जीवटता के साथ अपने रण-मोर्चे पर डटे हुए हैं। आज भी हमारे ये स्वास्थ्य कर्मी, पुलिसकर्मी, लेकर सफाई कर्मी तक लोगों की जान बंचाने के लिए खुद को जोखिम में डाल रहे हैं और सामने आकर लोगों की मदद कर रहे हैं. ये सब कोरोना के जंग के हीरो हैं.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का कोरोना के इन योद्धा की दुर्दशाओं पर बोलना कोई छोटी बात नहीं है. सुप्रीम कोर्ट का दखल बताता है कि हमने इनके कार्यों को मन से नहीं सराहा और न ही सरकारों और प्रशासन से उनकी बुनियादी बातें सुनकर उनका समाधान करने की कोश्शि की है, जो बेहद गंभीर विषय है. हमें इनके वास्तविक योगदान को पहचान कर इनके मनोबल को मजबूत करने की गहन आवश्यकता है. हमें ये मान लेना होगा कि आज इन्ही कि वजह से हम है . ये मात्रा वेतनभोगी निचले कर्मचारीभर नहीं है, ये हमारे वो हीरो है जिनकी वजह से हमारी जाने बची है, इनके अहसानों को मात्र दुगुना वेतन देने से चुकता नहीं किया जा सकता.

जब हर घर के दरवाजे बंद थे तो यही वो लोग है जो आपकी पल-पल की खबर ले रहे थे आपकी हर सहायता अपनी जान दांव पर लगाकर कर रहे थे तो फिर आज जब इनको हमारी जरूरत है तो हम क्यों इनके लिए आगे नहीं आ रहे?लोगों के साथ-साथ सरकार और प्रशासन को इनके वास्तिक कार्य की सराहना करनी चाहिए और उसकी एवज में इनके कद को भी बढ़ाना चाहिए. अफसरों को इनकी हर सुविधा का ध्यान रखना चाहिए. आखिर उनकी लाज बचाने वाले और सरकारी नीति को धरातल पर ले जाकर सफल करने वाले यही लोग है, सही समय पर वेतन और बढ़ोतरी, एवं समाज में उनकी छवि को उचित स्थान दिलाना किसी भी व्यस्था की अहम जिम्मेदारी बनती है, अन्यथा उस व्यवस्था को ढहने में देर नहीं लगती.

—-प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1 Comment · 197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2500.पूर्णिका
2500.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
अब कलम से न लिखा जाएगा इस दौर का हाल
अब कलम से न लिखा जाएगा इस दौर का हाल
Atul Mishra
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
Satish Srijan
Mai koi kavi nhi hu,
Mai koi kavi nhi hu,
Sakshi Tripathi
फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष
फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष
Paras Nath Jha
बीते हुए दिनो का भुला न देना
बीते हुए दिनो का भुला न देना
Ram Krishan Rastogi
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सदा बेड़ा होता गर्क
सदा बेड़ा होता गर्क
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
स्वार्थी नेता
स्वार्थी नेता
पंकज कुमार कर्ण
दोहे एकादश...
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
Rambali Mishra
💐प्रेम कौतुक-258💐
💐प्रेम कौतुक-258💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
गुजारे गए कुछ खुशी के पल,
Arun B Jain
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
धरती का बेटा गया,
धरती का बेटा गया,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
गुरुदेव आपका अभिनन्दन
गुरुदेव आपका अभिनन्दन
Pooja Singh
# महुआ के फूल ......
# महुआ के फूल ......
Chinta netam " मन "
"जो लोग
*Author प्रणय प्रभात*
ध्यान
ध्यान
Monika Verma
चिंतन और अनुप्रिया
चिंतन और अनुप्रिया
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
और क्या कहूँ तुमसे मैं
और क्या कहूँ तुमसे मैं
gurudeenverma198
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
ruby kumari
उसे तो आता है
उसे तो आता है
Manju sagar
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
मुझसे  नज़रें  मिलाओगे  क्या ।
मुझसे नज़रें मिलाओगे क्या ।
Shah Alam Hindustani
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
बेटियां! दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
Loading...