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17 Oct 2022 · 1 min read

हमारी हिन्दी

हम सबों की शान है हिंदी
संस्कृत की बहन है हिंदी
हिंदी से हम, हमसे है हिंदी
कवियों की श्रृंगार है हिंदी।

मां और पुत्र के समान
होती हमारी हिंदी की पहचान
ऐसा ही होती है रिश्ता
कभी ना करें इनका फिश्ता ।

आजकल तो ऐसा देखा गया
हिंदी बोले तो कहते गवार आया
अंग्रेजी बोले तो कहते विद्वान
आखिर ऐसा क्यों ? …

संस्कृत की एक छवि है हिंदी
दुनिया में यह प्रचलित है हिंदी
फिर भी दब रही, क्यों यह हिंदी ?
हमसब करें उजागर इस हिंदी का ।

हमसब पढ़ लिख ले कितना भी
कितना भी हो जाएं निपुण !
पर जिससे हमारा हुआ उद्भभव
उस हिंदी को ना त्यागे कभी ।

✍️ लेखक :- अमरेश कुमार वर्मा

Language: Hindi
3 Likes · 287 Views
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