हमारी मानसिकता
नारी की शारीरिक शुचिता के अन्तर्गत
नारी का समूचा अस्तित्व केवल नारी का
शरीर नहीं हो सकता उसे उसके चरित्र से
जोड़कर देखा जाना हमारी प्रगतिशील
मानसिकता पर तो प्रश्न चिन्ह लगाता ही है
साथ ही इस वास्तविकता को भी स्पष्ट करता है
कि नारी के प्रति हमारी मानसिकता
कल भी संकुचित थी और आज भी संकीर्ण है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद