‘हमारी मातृभाषा हिंदी’
स्नेह में पगी हमारी मातृभाषा हिंदी
साहित्य सर्जन, कला,संस्कृति,
सौंदर्य की परिभाषा हिंदी
रिश्तों की अभिव्यक्ति,
प्यार की स्वीकारोक्ति हिंदी
खुशियों की अनुगूंज,
संवेदनाओं का पुंज हिंदी
साहस की गर्जना हिंदी,
ह्रदय में अनुकंपित भावों की सर्जना हिंदी
वासी -अप्रवासी ह्रदयों को मिलाती हिंदी
विश्वपटल पर नए आयाम रचती हिंदी
कंप्यूटर पर नए रूप दिखाती हिंदी
अलंकारों,छंदों,समासों से सुसज्जित हिंदी
प्रवाही, सुसंस्कृत,सारगर्भित हिंदी
सदियों से मानसपटल पर अंकित हिंदी
वेदों की भाषा संस्कृत से जन्मित हिंदी
सप्त्सुरों से झंकृत हिंदी
भारत की आन है हिंदी
हमारा स्वाभिमान है हिंदी
भारतीयता की शाश्वत पहचान है हिंदी,
राष्ट्रीयता का अमिट गान है हिंदी
भारत माँ के मस्तक की झिलमिलाती बिंदी,
हमारी मातृभाषा हिंदी
अनुपमा श्रीवास्तव (अनु श्री), भोपाल