“हमारी दृष्टता”
“हमारी दृष्टता”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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आप सुने या ना सुने
हम गीत गाते रहेंगे
लय कर्ण प्रिय हो ना हो
हम गीत सुनाते रहेंगे !!
नदी के प्रवाह को भला
कौन रोक पाता है
गिरता है गिरि के मस्तक से
सागर में मिल जाता है !!
कदम हमारे आवाध
गति से चलते रहेंगे
लय कर्ण प्रिय हो ना हो
हम गीत सुनाते रहेंगे !!
सूर्य का उगना भला
कौन रोक सकता है ?
पूर्व दिशा से उगता है
पश्चिम की ओर ढलता है !!
अपने बनाए नियमों पर
दिनकर सदा चलते रहेंगे
लय कर्ण प्रिय हो ना हो
हम गीत सुनाते रहेंगे
प्रकृति के कार्यकलाप को
बदलना अपराध होगा
नियति के चक्र को
उल्टा चलना आघात होगा !!
जो जहाँ है इस जहान में
अपने कार्य को करते रहेंगे
लय कर्ण प्रिय हो ना हो
हम गीत सुनाते रहेंगे !!
निरीक्षक और वीक्षक हम
व्यर्थ मनो बन रहे हैं
अपनी कमियों को भुलकर
दूसरे की अवहेलना कर रहे हैं !!
कब तक भला हम
अपनी दृष्टता करते रहेंगे
लय कर्ण प्रिय हो ना हो
हम गीत सुनाते रहेंगे !!
आप सुने या ना सुने
हम गीत गाते रहेंगे
लय कर्ण प्रिय हो ना हो
हम गीत सुनाते रहेंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
27.05.2022.