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15 Jul 2024 · 1 min read

हमारी तकदीर कोई संवारेगा!

हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
न आरजू है न इन्तजार है अब
अपन के हाथ में कहाँ है कुछ
जो मिल जायेगा स्वीकार है सब
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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