” हमारी चाहत “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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कुछ लिखें आप
तो हम आपको
जान पाएंगे !
मित्रता अनुकूल
हमको मिली है
पहचान पाएंगे !!
सिर्फ मित्रों की
टोलियां बनाने से
कुछ नहीं होता !
दूर रहकर यूँ
दिखने से कभी
जुड़ नहीं सकता !!
आपको हमने
अपने ह्रदय से
स्वीकार किया है !
आप कुछ नहीं
लिखकर के
बेज़ार किया है !!
भले हमारी भाषाओँ
से शायद आप
जुड़ ना सके !
पर अपनी बातें
अपने अंदाज में
आप कह ना सके !!
सिर्फ आपके उधार
पोस्टों से हमें
क्या करना ?
‘ हमारी चाहत ‘है आपके
विचारों को अपने
ह्रदय से जोड़ लेना !!
मित्रता के बंधनों में
यूँही बंधने को
सहज ना मान लें !
एक दूसरे की भावना
को समझें और
भली -भांति पहचान लें !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका