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24 Jan 2024 · 1 min read

*हमारी कश्ती!*

देखा ही होगा समन्दर में दूसरी कश्तियाँ भी तो जनाब थीं
जिनके मालिकों की हालत हमसे तो ज़्यादा ही ख़राब थी
किसी बात की कमी न थी हमारी कश्ती के रखरखाव में
जर्जर दूसरी कश्तियाँ किसी भी वक्त डूबने के कगार थीं
वो महफ़ूज़ हैं समन्दर की ज़द में बस हमारी कश्ती आयी
लहरों के बर्ताव से लगा शायद उनकी नीयत नापाक थी!

ना कश्ती के पेंदे में कोई छेद था ना इरादों में खोट था कोई
बेशक उस रोज़ उफ़ान के सिर चढ़ी बड़ी हलचल सवार थी
वो तो आगे बढ़ रही थी डूबने का खदशा ही कहाँ था कोई
लगा सँभली हुई है जब वो समन्दर की लहरों पर सवार थी
आख़िर ये कैसे मुमकिन है वो तूफ़ान की ज़द में नहीं आयीं
बदहाल हाल में साहिल से टकराती जो कश्तियाँ हज़ार थीं!

कम-ज़र्फ़ सलामत रह जाती हैं अक्सर साहिल पे खड़ी थीं
डूबी वही जो बेख़ौफ़ जज़्बा लिए तूफ़ान से हुई दो चार थी
मौक़ापरस्त हैं या समझें समझदार उन्हें जो साहिल पर रहीं
जो हवाओं का रुख़ ही नहीं पहचानती थीं उनका बहाव भी
क्यों बहती कश्तियाँ ही तूफ़ानों की ज़द में आती हैं अक्सर
क्यों मेहनतकश को डूबाने को लहरों की है नीयत ख़राब ही!

Language: Hindi
68 Views
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