“हमारी कल्पना ..हमारी कविता “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
=================
आप यूँ छम से
आ गयीं
कल्पना हमारी साकार
हो गई !
अब हमें शब्दों के
जालों से क्या मतलब
हम आपको सिर्फ
देखेंगे
निहारेंगे आप के रूप को
आपके मुस्कानों से ही
हमारी कविता निखर जाएगी !!
आपके आकर्षक परिधानों से
हमारी लेखनी
संवर जाएगी !
हम रंग भरेंगे ,हम रूप भरेंगे
आपके श्रृंगारों का लेप करेंगे ,
आपके मधुर बोल
मेरी कविता के शब्द बनेंगे !!
आज से है संग हमारा
हम ना रुठेंगे कभी
कल्पना के डोर को
हम ना छोड़ेंगे कभी !!
================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस .पी .कॉलेज रोड
दुमका