हमारा ये प्रेम
समेट लेना तुम्हें
अपनी बाहों में
और ढाल लेना प्रेम में
और उस प्रेम को
बांध देना एक डोर से
और फिर उस डोर का एक सिरा
बांध लेना हृदय के केंद्र से
केंद्र जहां से जुड़ा है मन
और उस प्रेम की डोर को
हृदय से मन की ओर संचालित कर देना
शरीर में उत्पन्न हो रहे अनेकों संवेगो
से हो रहे परिर्वतन को
शालीनता से
अनुकूल कर लेना
और उस प्रेम की डोर से उत्पन्न हुए
अथाह सागर में उठती हुई सुनामी को
हृदय और मन के मध्य बांध लेना
इतनी कोमलता से
कि प्रेम की वह डोर अटूट हो जाए
और प्रेम बना रहे
बिल्कुल ब्रह्मांड की तरह
जो पृथ्वी के अस्तित्व में आने के पूर्व से
अनंत काल तक बना रहेगा
ठीक उसी प्रकार
यथार्थ रूप में विद्यमान रहेगा
हमारा ये प्रेम ❤️