Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2023 · 1 min read

हमारा ये प्रेम

समेट लेना तुम्हें
अपनी बाहों में
और ढाल लेना प्रेम में

और उस प्रेम को
बांध देना एक डोर से
और फिर उस डोर का एक सिरा
बांध लेना हृदय के केंद्र से

केंद्र जहां से जुड़ा है मन
और उस प्रेम की डोर को
हृदय से मन की ओर संचालित कर देना
शरीर में उत्पन्न हो रहे अनेकों संवेगो
से हो रहे परिर्वतन को
शालीनता से
अनुकूल कर लेना

और उस प्रेम की डोर से उत्पन्न हुए
अथाह सागर में उठती हुई सुनामी को
हृदय और मन के मध्य बांध लेना
इतनी कोमलता से
कि प्रेम की वह डोर अटूट हो जाए
और प्रेम बना रहे

बिल्कुल ब्रह्मांड की तरह
जो पृथ्वी के अस्तित्व में आने के पूर्व से
अनंत काल तक बना रहेगा

ठीक उसी प्रकार
यथार्थ रूप में विद्यमान रहेगा
हमारा ये प्रेम ❤️

Language: Hindi
64 Views

You may also like these posts

The Misfit...
The Misfit...
R. H. SRIDEVI
#लघु_कविता-
#लघु_कविता-
*प्रणय*
मेरा भारत बड़ा महान
मेरा भारत बड़ा महान
पूनम दीक्षित
- तुम ही मेरे जीने की वजह -
- तुम ही मेरे जीने की वजह -
bharat gehlot
अशोक पुष्प मंजरी घनाक्षरी
अशोक पुष्प मंजरी घनाक्षरी
guru saxena
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
छत पर हम सोते
छत पर हम सोते
प्रदीप कुमार गुप्ता
घर परिवार पड़ाव - बहाव में ठहराव
घर परिवार पड़ाव - बहाव में ठहराव
Nitin Kulkarni
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
पूर्वार्थ
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
Udaya Narayan Singh
रोला छंद. . .
रोला छंद. . .
sushil sarna
दर्द
दर्द
ललकार भारद्वाज
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
Neelofar Khan
*भला कैसा ये दौर है*
*भला कैसा ये दौर है*
sudhir kumar
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
Karuna Bhalla
रुपया
रुपया
OM PRAKASH MEENA
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
सपने ना बंद आँखो में है ,
सपने ना बंद आँखो में है ,
Manisha Wandhare
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सच तो जीवन में शेड का महत्व हैं।
सच तो जीवन में शेड का महत्व हैं।
Neeraj Agarwal
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नारी तेरी कहानी
नारी तेरी कहानी
Rekha khichi
सुपारी
सुपारी
Dr. Kishan tandon kranti
ग्यारह होना
ग्यारह होना
Pankaj Bindas
Loading...