हमारा जीवन
हमारा जीवन
ओंस की कुछ बूंदे ज्यों
मोती बन चमकने लगती हैं,
घास की चंद शिखाओं पर
वैसे ही बने ये जीवन हमारा।
जिसका काल है क्षण-भंगूर
ज्यों ओंस का जीवन ही
कुछ क्षणों का होता है।
सूर्य की पहली किरण से
खिल उठती है चमक उठती है
ओर घास पर थिरकने लगती है।
मगर उसके विनाश का कारण भी
वही सूर्य होता है
कुछ पहर में ही वह
उड़ा देता है भाप बनाकर
खुद मिटकर भी वह ओंस
एक सीख दे जाती है
जीवन अमूल्य है उसको हे मानव
यूं मत निरर्थक गवां
तु भी कुछ ऐसा कर
तेरी भी चमक मोती-सी हो
उसमें अपनी साख बना
हर क्षण आतुर रह
मौत को गले लगाने को
क्योंकि यह जीवन छोटा है
पर समय अमूल्य है
इसको ऐसे बेकार न कर
हे मानव ! तु भी कुछ कर।
-ः0ः-