-हमारा जीवन है अब तो साहित्य को समर्पित –
– हमारा जीवन है अब तो साहित्य को समर्पित –
हमारा जीवन तो है अब साहित्य को समर्पित,
साहित्य को ही है अर्पित,
साहित्य में ही है समाहित,
इस बात का नही है मेरे अपनो को भान,
साहित्य के मेरे प्रेम से मेरा कुल ,वंश ,परिवार भी है अनजान,
साहित्य के लिए ले ही जीना चाहु,
साहित्य के बिना मे मरण समान,
होती होंगी इस युग में लोगो को लालसा अनेक,
पर हमारे लिए तो साहित्य ही एक है सभी सुखों की खान,
साहित्य के बिन जीना कैसा,
चाहे छोड़ दू अपना कुलवंश छोड़ दू में परिवार,
मगर कभी ना छोड़ पाऊं साहित्य के प्रति मेरा मोह,
क्योंकि हमारा जीवन है अब तो साहित्य को समर्पित,
साहित्य को अर्पित और साहित्य में ही समाहित ,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –