हमारा घर है भारत देश
सारे जहां में सबसे प्यारा ,
है भारत देश हमारा ।
यही हमारा परिवार ,
और यही घर हमारा ।
यह हमारा मान सम्मान ,
यही हमारी आन बान शान ।
इसके सम्मान के समक्ष ,
सारे विश्व का धन धूल समान ।
इसका दुख सुख ,
हमारा दुख सुख ,
इससे अलग होकर ,
जीवन में काहे का सुख ।
अपने घर की सुखी रोटी भी ,
होती है अमृत समान ।
गैरों से मिला पकवान ,
होता है जहर समान ।
फिर क्यों करते हो विदेशों ,
में बसेरा ।
जिस देश में मिला जन्म ,
और पहचान ,
उसे ही करते हो पराया ।
यह कैसा न्याय तुम्हारा।
ठोकर जब मिलेगी पराए घर से ,
तो लौट के यही आना होगा ।
तुम्हें सहारा देने वाला ,तुम्हारे आंसू पोंछने,
वाला यही प्यारा वतन हमारा होगा ।
बिन बुलाए व्यक्ति की तो ,
कहीं भी कद्र नहीं होती ।
हां ! यदि कोई बुलाए सम्मान से ,
उसमें जन्म भूमि की भी शान होती है ।
इसीलिए हमारी गुजारिश है ,
इससे अधिक अपनेपन और प्यार से ,
भरा वतन कहीं नहीं मिलेगा।
अपने वतन (घर) को छोड़कर मत जाओ ,
तुम्हें कहीं ऐसा घर नहीं मिलेगा ।
जो कुछ अपनी मातृभूमि से पाया है ,
उसी पर सब अर्पण करना तुम्हारा धर्म है ।
इससे प्राप्त संस्कार ,संस्कृति ,और सभ्यता ,
और मानवता की शिक्षा की लाज रखना ,
तुम्हारा जीवन का प्रमुख धर्म है ।
क्योंकि तुम्हें पूरे विश्व में यह खजाना कही नही मिलेगा ।