हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
विश्व धरा का देश न कोई,
भारतवर्ष समान।
सारे रूपक लगे अधूरे,
कौन सा दूँ उपमान।
अगिनत खूबी इस भूमि की,
कैसे करूं बखान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
राम कृष्ण है धरती ये,
चन्दन के सम इसकी माटी।
कण कण में अनुराग मिलेगा,
ऐसी इसकी परिपाटी।
भक्तिभाव,सदभाव,त्याग और
प्रेमभाव का खान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
झूठे बेर, मुट्ठी भर चावल,
एक चम्मचभर माखन खाकर।
स्वर्गलोक नाविक मजदूरी,
प्रेम बशीभूत हो करुणाकर।
केवल इस धरती पर सम्भव,
खोजो सकल जहान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
तुलसी रामभक्ति मस्ताना,
सूर सगुन समझाया।
अलख जगाए भक्त कबीरा,
हरि का निर्गुण गाया।
मीरा प्रेम दीवानी हंसकर,
कर लेती विषपान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
लक्ष्मी शिवा,भगत और,शेखर
गंगाधर व बोष।
रत्नजड़ित सिरमौर हमारे,
भर देते ये जोश।
बच्चे बच्चे में बसते हैं,
बन कर शौर्य गुमान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
सागर,पर्वत,वर्षा,जाड़ा
हवा,बर्फ,नदी,हरियाली।
फलोद्यान, जड़ी संजीवन,
लहराए खेतों में बाली।
ऐसे गुण क्षमता के कारण,
भारत देश महान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
यहां नायिका की चितवन पर
ललचाते हैं शैलानी।
लता,किशोर,मुकेश,रफी की,
जग मोहित सुन कर वानी।
बच्चन एक अनोखा नायक,
पाता यश सम्मान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
सात दिनों तक शून्य पर बोले,
थे भारत के सन्त ।
रामानुजन बताया जग को
नया अंक का पंथ ।
पाई,शून्य,दशमलव खोजा,
आर्यभट्ट गुणवान।
हमारा ऐसा हिंदुस्तान।
-सतीश सृजन, लखनऊ.