हमसे हो न कोई दुःखी…
आ जाए अपना कोई,
इंतजार कर रहे ।
मन को बहुत समझाते,
वेदना कैसे सहे ।।
वो हँसी खिलखिलाती,
बहुत याद आती ।
भौर हो सुहावनी शाम हो,
चेतना वही पाती ।।
पल भर का वो रूठना,
देता आनन्द अपार ।
जब आँखे बंद करता,
दिखे रूप साकार ।।
कब तक आओगी,
उम्र अब बीती जाए ।
सूख चुके आँसू भी,
नयन दर्श कब पाए ।।
देख कर ऐसी दशा,
सोचती वे सखियाँ ।
क्या सुंदर पल थे,
अब चिढ़ाती गलियाँ।।
हमसे यह कह दो,
यह सब हैं कल्पना ।
मन को समझाएंगे,
फिर न देखेंगे सपना ।।
यथार्थ का धरातल,
होता बड़ा कठोर ।
सपने सब उड़ जाते,
रहता न कोई ठौर ।।
अच्छा बुरा क्या होता,
होते मन के ख्याल ।
कितना मन भटकता,
कितने बुनता जाल ।।
परम् सत्य यहीं जाना,
ईश्वर ही सच्चा स्वरूप ।
प्रेम को मान ईश समान,
हर प्राणी में वही रूप ।।
हमसे हो न कोई दुःखित,
रखते हैं यही ध्यान ।
सब सुखी स्वस्थ रहें,
यही है जीवन ज्ञान ।।