हमसे नजरें चुराओगे कब तक
हमसे नजरें चुराओगे कब तक,
आइने के सामने न आओगे कब तक।
तुमको कदर नहीं है अभी मेरे प्यार की, पर मेरी मोहब्बत को समझ न पाओगे कब तक।
दिल में प्यार है तुम्हारे भी, ये बात अपने होंठों पर न लाओगे कब तक।
इतनी भी बेरुखी अच्छी नहीं, इस दिल को तड़पाओगे कब तक।
तेरे दीदार की हसरत लिए बैठें है निगाहों में, देखते हैं कि तुम न आओगे कब तक।