हमसे कभी जब बात वो दो चार करेंगे
हमसे कभी जब बात वो दो चार करेंगे
हम प्यार का अपने तभी इजहार करेंगे
नफरत से भरी ज़िन्दगी सुनसान बहुत है
हम फूल खिला प्यार के गुलज़ार करेंगे
तुम आज़मा के देख कभी लेना हमें भी
हम दोस्ती में जान भी कुर्बान करेंगे
चाहें लगा लो प्यार पे पाबंदियां कितनी
हम हार नहीं प्यार की स्वीकार करेंगे
हो जाएगा तब ‘अर्चना’ कद और भी ऊँचा
जब खत्म हम अपना ये अहंकार करेंगे
डॉ अर्चना गुप्ता