हमसफ़र
दो अंजाने चल पड़ते हैं एक साथ
हमसफ़र बन जीवन की यात्रा में
कुछ पाकर, कुछ खोकर
तो कुछ सहकर, कुछ लड़कर
कुछ समझौते कर आगे बढ़ते जाते हैं।
लगभग हर दिन अनगिनत तकरार कर
एक दूसरे से दूर होने की धमकियां देकर
और फिर मिलकर उसी राह पर आगे बढ़ जाते हैं,
रात गई बात गई की तर्ज पर
जैसे कुछ हुआ ही न हो।
जीवन का युद्ध साथ लड़ते
घर परिवार की साझा जिम्मेदारी निभाते,
बच्चों के भविष्य की चिंता में
खुद की परेशानियों को ताक पर रख कर
एक दूजे का संबल बनते, हौसला अफजाई करते,
सब कुछ ठीक हो जाएगा की भविष्यवाणी करते।
चलते रहते हैं अपने हमसफर के साथ
सात जन्मों का बंधन मान।
हमसफ़र के साथ होने का गुमान
जैसे लगता है बड़ा आसान, जो वास्तव में होता नहीं
पर विश्वास होता है खुद से ज्यादा अपने हमसफर पर,
और यही विश्वास मजबूत करता है
हर हमसफ़र की सहज यात्रा
और गर्व, कुंठा, दुख, सुख अच्छा बुरा जैसा भी
हमसफ़र की ताकत जीवन की यात्रा में
मजबूत दीवार सरीखा लगता है,
तमाम अंर्तविरोधों के बावजूद अगले जन्म में
बस आज के इसी हमसफ़र का साथ होने का
मन में भाव हिलोरें मारता है,
हर हमसफ़र का एक इतिहास बनता है
क्योंकि हमसफ़र ही एक दूजे के लिए
सबसे खासमखास होता है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश