हमसफर तुम
इस सफ़र के नये हमसफर तुम हो,
कि अब तो हर जनम के हमसफर हो तुम.
अपनी फुरसत का मैं क्या बयां करूँ,
मेरी तो व्यस्तताओं में भी हो तुम
गिरने पर सबने हँसी उडायी मेरी,
उन्हें क्या पता मुझे संभालने वाले हो तुम.
जुडे तुम्हारा नाम मेरे नाम से,
मेरी तो हर आरजू में भी हो तुम.
बन जाऊँ मैं बनकर कतरा-कतरा,
बस एक बार मेरे लिये संवर जाओ तुम.
©® आरती लोहनी