हमसफर के बिना अधूरी है जिन्दगी
सफर जिन्दगी का
बहुत मिलते है
मुसाफिर जिन्दगी में
कुछ चलते है साथ
कुछ बिछड़ जाते है
हमसफर के बिना
अधूरी है जिन्दगी
बहुत मिलते है
मुसाफिर जिन्दगी में
सिर्फ साथ देता है
हमसफर जिन्दगी में
हमसफर के बिना
अधूरी है जिन्दगी
हँसते हंसाते
कभी रूठ कर तो
कभी मनाने में
गुजर जाता है सफर
हमसफर के बिना
अधूरी है जिन्दगी
सफर है लम्बा
जिन्दगी का
हमसफर के बिना
अधूरी है जिन्दगी
दर्द उनसे पूछिए
जिनके हमसफर
बिछुड़ गये जिन्दगी में
हमसफर के बिना
अधूरी है जिन्दगी
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल