” हमरो सासुर बदलि गेल “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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सासुरक स्वरूप बदलल,
लोको सब बदलि गेलाह !
नवका पुरान भेल ,
परिचित अपरिचित भेलाह !!
बदलि गेल उत्सुकता,
गाम मे “ओझा” एलाह !
पुरनका लोक आब कतय
के एलाह ..के गेलाह ?
सासुरक स्वरूप बदलल
लोको बदलि गेलाह !!
आंगन आब रहल नहि,
घर सब बदलि गेल !
सांझ दीप बन्दना लोक,
सब बिसरि गेल !!
पराति आ साँझक गीत,
गबैय्या आब विलुप्त भेलाह !
नवका पुरान भेल,
परिचित अपरिचित भेलाह !!
बदलि गेल उत्सुकता ,
गाम मे “ओझा” एलाह !
पुरनका लोक आब कतय ,
के एलाह ..के गेलाह ?
सासुरक स्वरूप बदलल
लोको बदलि गेलाह ! !
पहिने सौसें अनघोल ,
गाममे होइत छल !
ओझा मिसर चौधरी केँ,
सत्कार नीक होइत छल !!
हंसी ,ठठ्ठा ,प्रेम ,अनुराग,
करय बला कतय गेलाह ?
नवका पुरान भेल ,
परिचित अपरिचित भेलाह !!
बदलि गेल उत्सुकता ,
गाम मे “ओझा” एलाह !
पुरनका लोक आब कतय
के एलाह ..के गेलाह ?
सासुरक स्वरूप बदलल
लोको बदलि गेलाह !!
अध्ययन अध्यापनक ,
युग बुझु मलिन भेल !
ज्ञानक प्रकाशपुंज ,
सबटा बिलिन भेल !!
आब मधुर बोल सँ,
विलुप्त सब भ गेलाह !
नवका पुरान भेल,
परिचित अपरिचित भेलाह !!
बदलि गेल उत्सुकता ,
गाम मे “ओझा” एलाह !
पुरनका लोक आब कतय,
के एलाह ..के गेलाह ?
सासुरक स्वरूप बदलल
लोको बदलि गेलाह !!
बच्चा लोकनि मैथिली,
विहीन आब बनि रहल छथि!
माय-बाप दिल्ली-हिंदी,
हुनका सीखा रहल छथि !!
अप्पन -अप्पन मूढ़ता सँ,
नींव हुनक हिला गेलाह !!
नवका पुरान भेल ,
परिचित अपरिचित भेलाह !!
बदलि गेल उत्सुकता ,
गाम मे “ओझा” एलाह !
पुरनका लोक आब कतय ,
के एलाह ..के गेलाह ?
सासुरक स्वरूप बदलल,
लोको बदलि गेलाह !!
पान ,मखान, माछ सब,
बिसरि जाऊ एहन व्यंजन!
गुटखा,मटन,चिकेन
भांग लय केँ करू सेवन !!
नव पीढ़ी संक्रमण ग्रसित
अपना केँ बुझि रहला !!
नवका पुरान भेल ,
परिचित अपरिचित भेलाह !
बदलि गेल उत्सुकता,
गाम मे “ओझा” एलाह !!
पुरनका लोक आब कतय
के एलाह ..के गेलाह ?
सासुरक स्वरूप बदलल,
लोको बदलि गेलाह !!
हम त इएह बुझि कतेक,
दिनक बाद सासुर गेलहुँ!
पुरनके ओझा बला स्वयं ,
आभास हम करय लगलहुँ!!
मुदा हमरा सासुरक लोक,
नीक जकाँ चिन्हबो नहि केलाह !
नवका पुरान भेल,
परिचित अपरिचित भेलाह!
बदलि गेल उत्सुकता,
गाम मे “ओझा” एलाह !
पुरनका लोक आब कतय
के एलाह ..के गेलाह ?
सासुरक स्वरूप बदलल
लोको बदलि गेलाह !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
शिविपट्टी
मधुबनी
बिहार