हमरा बिसरलहुँ यौ पिया जी…
हमरा बिसरलहुँ यौ पिया जी…
(मैथिली विरह गीत)
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हमरा बिसरलहुँ यौ पिया जी,
अपने विदेशबा गेलहुँ हो राम।
जब-जब याद आबै,अहां के सुरतिया,
कटला सऽ कटैयै नेऽ,विरहा के रतिया।
जिया तरसेलौ यौ पिया जी,
अपने विदेशबा गेलहुँ हो राम।
हमरा बिसरलहुँ यौ पिया जी,
अपने विदेशबा गेलहुँ हो राम।
नीक नै लगैया हमरा, सासुजी के बोलिया।
असगर घर में पिया, कटै छी अहुरिया।
कोना हम रहबै यौ पिया जी,
अपने विदेशबा गेलहुँ हो राम।
हमरा बिसरलहुँ यौ पिया जी,
अपने विदेशबा गेलहुँ हो राम।
अहींक कऽ कारण पिया, नैहर हम छोड़िलहुं ,
आब मोन होइए हमरा, जहर खा कऽ मैर जेतहुँ ।
तरपैत निरु मैर जेतै यौ पिया जी,
अपने विदेशबा गेलहुँ हो राम।
हमरा बिसरलहुँ यौ पिया जी,
अपने विदेशबा गेलहुँ हो राम।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित।
© ®
गीतकार – निरुपमा कर्ण
कटिहार (बिहार)
तिथि – २३ /१० /२०२१
मोबाइल न. – 8271144282