हमराही
वर्णमाला के पहले अक्षर से नाम शुरू होता है तुम्हारा ।
प्यार भरा फ़लसफ़ा भी प्रारंभ होता है यहीं से हमारा।।
दिल की गहराई में इक तस्बीर सजती है ।
इसी तस्बीर से तो मेरी परछाई मिलती है।।
तुम लेख हो मेरी सुंदर कल्पनाओं के ।
ओर में इसी कल्पना की कहानी हु।।
बड़ी मुद्दतों से पाया है तुम्हें ।
तुम मेरे ओर में तुम्हारी दीवानी हु ।।
आए हो जो दुनिया मे मेरी ।
खुशियों से भर दूंगी जिंदगी ये तेरी।।
पतझड़ हो या सावन हर सुख दुःख साथ बिताएंगे ।
इसी तरह एक दूजे की पहचान बनाएंगे ।।
इस राह के हमराही है हम ।
एक मंदिर के भगवान के कुमकुम ओर चन्दन है हम।।
रचियता – मंगला केवट
होशंगाबाद