हमने हिंदी को खोया है!
इक दौर चला है दुनिया में
बस हाय, हैलो से बात करो
गुड मॉर्निंग से सुबह हुई है
बस गुड नाईट से रात करो
जब हमको कुछ विषयों का
इतिहास पढ़ाया जाता है
हिंदी में बात नहीं करता कोई
अंग्रेज़ी में बताया जाता है
इक व्यापारिक भाषा के लिए
आयोग्य दिखाया जाता है
हैं योग्य मगर फिर भी ‘हमें’
महफ़िल से उठाया जाता है
हमने यह दर्द ज़माने का
खुद के कंधों पर ढ़ोया है
हम मौन खड़े थे इसीलिए
हमने ‘हिंदी’ को खोया है!!
माना होंगी भाषाऐं और बहुत
भाषाओं से कोई मतभेद नहीं
सब ग्रंथ रचे हैं देवनागरी में
अंग्रेज़ी में कोई वेद नहीं
धर्म, अर्थ और राजनीति
पुराणों से चलते सारे काम
मीरा,कबीर और बाबा तुलसी
हिंदी ने दिए ये सारे नाम
जिन्हें अपने जीवन में पढ़कर
हम आज यहां तक आए हैं
इक महाकाव्य है ‘रामचरित्र’
जो ‘आप’ नहीं दे पाए हैं
तुम भी फ़सल वही काटोगे
जिस बीज को तुमने बोया है
हम मौन खड़े थे इसीलिए
हमने ‘हिंदी’ को खोया है!!
— अशांजल यादव । @ashanjalyadav