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28 Jan 2024 · 1 min read

हमनवा

मैने उनसे नज़र क्या मिलाई, वो हमारे दिवाने हो गए!
गुफ्तगू शुरु हुई थी कि,मिलने मिलाने के बहाने हो गए!!
चार दिनो की मुलाकात महज़ इक इतैफाक ही तो था,
उनको उगली पकडाई न थी, कलाई को थमाने हो गए!!
यह भी कोई रसूखे मौहब्बत तो नही है,ऐ मेरै हमसफर,
क्या कहे तेरी बेहयाई,तुम तो किस कदर दिवाने हो गए?
चंद दिनो का साथ और चंद कदमो का ये अहले सफर,
सोचा न था कि मेरे हमनवा बनकर वो भी पुराने हो गए!!

सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेठ कवि.पत्रकार
202 नीरव निकुजं फेस -2 सिकंदरा,आगरा -282007
मो:9412443093

Language: Hindi
109 Views
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