हमदम
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जरूरी है मोहब्बत में करीबी हम/सफ़र हमदम ।
तु मेरी जा/न है जानो/ यहां हर पल/मिरे हमदम।
मोहब्बत है/ तुम्ही से तो /शिकायत भी /तुम्हीं से है।
तुम्हीं से हर /खुशी मेरी /तुम्हीं हर सां/स में हमदम।
कहानी जब/ सुना तेरा/मिरा दिल खौ/फ खाता है।
कहानी है/तुम्हारी जो/हमारी भी / वही हमदम ।
अभी जो चौं/क कर जागा /अभी थे ख्वा/ब में तुम जो
तिरे मेरे /मोहब्बत का/तमाशा बन चु/का हमदम।
रहा ना रा/स अब मुझको/मोहब्बत तो /फरेबी है ।
वफ़ा का क्या /भरोसा है/ कहां किसको/ठगे हमदम।
तुम्हारे सा/थ आएं हैं/ ख़ुशी के अन/गिनत लम्हें
भला जो हो/ वहीं जाना /हिचक रखना/ नहीं हमदम।
न लिखता हूं /गजल दीपक /नहीं तो यह/फ़साना है।
कि दुनियां चा/हती है दू/र करना सुन /मिरे हमदम।।
दीपक झा रुद्रा
मूल रचना