हमको फ़र्ज निभाना होगा
हमको फ़र्ज निभाना होगा….
हमको फ़र्ज निभाना होगा
अपना कर्ज़ चुकाना होगा…
जिस माटी ने दिया सहारा
उनको हृदय लगाना होगा…
अंधियारा से जूझ रहा घर
दीपक वहाँ जलाना होगा…
मायूसी से उबर नयन में
सपना एक सजाना होगा…
मात-पिता से बड़ा कौन है?
यह भी क्या बतलाना होगा….
दिखे कहीं भी घर का भेदी
तत्क्षण उसे भगाना होगा….
साहस कितना है वीरों में
अवसर देख दिखाना होगा…
भटक गए जो बहकावे में
उनको सच समझाना होगा….
जो सोये हैं घर में अब भी
उनको चलो जगाना होगा…
मातृभूमि का गौरव जग में
मिलकर हमें बढ़ाना होगा…
अगर जरूरत पड़े वतन को
हँसकर शीश चढ़ाना होगा…
डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही
(बस्ती उ. प्र.)