हमको क्या सीखलाते हैं
टिम टिम करते नभ के तारे,
हमको क्या सीखलाते हैं?
सूरज-चंदा दूर गगन से,
हम को क्या सीखलाते हैं?
प्यारी चिड़िया अपनी धुन में,
बोलो क्या-क्या गाती है?
न्यारी-सी फूलों की क्यारी,
सबको क्या सिखलाती है?
हाथी-हिरण-चीता-भालू,
साँप-छछुन्दर-बंदर-कालू,
रहते हैं जंगल में कैसे!
सब के सब भाई हों जैसे.
आसमान में उड़ने वाली-
चिड़ियों की लंबी-सी पाँती।
सब मिलकर हैं हमें सिखाती-
‘शक्ति मेल मिलाप से आती.’
—- कुमार अविनाश केसर
मुजफ्फरपुर, बिहार