हमको किस के सहारे छोड़ गए।
तुम हमको यूं रुलाकर तन्हा मुंह मोड़ कर चले गए।
तुम थे मसीहा हमारे हमको किस के सहारे छोड़ गए।।
अब कहेंगे हम किसको धरतीपुत्र और किसे नेता जी।
थे सहारा तुम हमारा क्यूं हमको बेसहारा करके चल दिए।।
समाजवाद के तुम थे अनुयायी कोई भेद ना करते थे।
तुम्हारी मौत पर हर आंख से जानें कितने अश्क बह गए।।
ज़मीन से उठकर तुमने ऊंचे आसमान को छुआ था।
आपने संग संग जाने कितनों को उड़ना सीखा कर गए।।
रुक नहीं रही आस्रु धारा तुम अंतविहीन जो हो गए।
सारा देश ही सदमे में है तुम्हारे तुम सबको गम दे गए।।
धरतीपुत्र मुलायम सदा नाम रहेगा ये कायम जग में।
सूरज जैसा तुम चमकोगे नाम अमर तुम कर गए।।
पक्ष विपक्ष हर तरफ से तुम सबसे सम्मान पाते थे।
ना खतम होगा युग तुम्हारा जो तुम बनाकर चले गए।।
तुम्हारा नाम ही काफी था विचार मन में आने के लिए।
कभी ना बुझेगा समाजवाद का दीया जो तुम जलाकर गए।।
जग बस तुम्हारी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहा।
तुमको शत शत नमन हम शीश झुकाकर कर रहे।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ