हनुमान जी के गदा
गदा
(हास्य रस)
हनुमान जी के गदा
हास हास के पेट फुलगे ददा
खोरबहरीन ला भूत धरलीस
बैगा हा हनुमान चालीसा सुनाइस
अऊ चार कोर्रा लगाईस
खोरबहरिन के भूत उतरगे ददा।
हनुमान जी के गदा….
खोरबहरीन ला छोड़ के दुकलहीन ला धरलिस
डॉक्टर तीर गैइस
एकेच इंजेक्शन लगाईस
दुकलहीन के होश आइस ददा।
हास हास के पेट …..
आखिर में समांरू ला
धरलिस
समारु ला कहूं नई लेगिस
समारू नून मिर्चा के उतारा उतारिस
कहिस की भाग रे भूत मोर मन के भरम भूत।
मोला छोड़ के फलानिन संग सूत
ये भूत ह बिक्कट परेशान करथे ददा
हनुमान जी के गदा
हास हास के पेट फूलगे ददा।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक दुर्ग