— हद है तुम्हारी ओ नर नारी —
कर के सुनहरे बाल
लाली से कर के गाल लाल
पहन के छोटे लिबास
बेवजह क्यूं इतराती है !!
करती है टेढ़ी मेढ़ी चाल
करती है दुनिया को हलाल
क्यूं बेवजह जाल से अपने
हबशिओं को फसाती है !!
ले आयी पाश्चात्य पहनावा
भूल गयी यहाँ का पहनावा
क्यूं मटक मटक चलती चाल
क्यूं दुनिया को लुभाती है !!
भारतीओं की भी नारियां
देखा देखी हो गयी निढाल
बद सूरत से कपड़ों में
क्यूं क्या लगती नही कंगाल !!
गर्मी में मर्द पहन रहा है कोट
औरत ने पहने शोर्ट से शोर्ट
देखो किसी भी उच्च स्टेज पर
क्यूं है नही बदतमीजी का माहौल !!
बिगाड़ दिया सारी दुनिया को
इन फ़िल्मी और टी वी वालों ने
खुद का इनका है नही घर घाट
पर कर दी जमाने की उलटी खात !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ