” हद मत पार करो “
हर रिश्ते – संबंधों में एक सीमा रेखा होती है
इस सीमा रेखा का हमेशा ध्यान करो
किसी भी कीमत पर तुम इसको
मत पार करो मत पार करो ,
बच्चे को तो तुम बच्चा ही रहने दो
इसके बचपन को नही तुम बर्बाद करो
कैसी भी हालात में अपनी सीमा रेखा
मत पार करो मत पार करो ,
स्त्रियों को लेकर अपनी नियत साफ रखो
उन पर नही तुम कोई अत्याचार करो
अपनी हैवानियत की सीमा रेखा
मत पार करो मत पार करो ,
अपनी मर्जी से जीना हर व्यक्ति का हक़ है
उनके हक को नही तुम अस्वीकार करो
इस हक के हद की सीमा रेखा
मत पार करो मत पार करो ,
सरहदों पर भी बनती है सरहदों की रेखाऐं
चैनो – अमन होगा जब इसको स्वीकार करो
किसी भी सरहद की सीमा रेखा
मत पार करो मत पार करो ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/09/2020 )