— हत्या, बलात्कार और सजा —
इन सब का कैसा नाता है
हत्या करने के बाद भी
इस भारत देश में
कानून इनका रखवाला है !!
जुर्म पर जुर्म की तादाद
तो ऐसे बढ़ रही है
जैसे किसी को किसी
का खौफ ही बाकी न रहा हो !!
कोई जगह नहीं बाकी
जहाँ जुर्म सर न उठा रहा हो
बलात्कार कर कर के
पापों का घड़ा न भरा जा रहा हो !!
धरती का सीना कितना बड़ा है
जो दरिंदों को सहे जा रहा है
कब भरेगा यह पाप का घड़ा
पल पल केहर जैसे हो रहा हो !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ