हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा
हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा
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मैं आपको सहज दिख रहा हूँ
मुस्कुराता लग रहा हूँ
सन्तुष्ट भाव का परिचय
मेरे चेहरे से पा रहे होंगे आप
शिकवा शिकायत दुःख दर्द क्लेश का
कोई रेशा नहीं मिल पा रहा होगा
मुस्कान मंडित मेरे मुखड़े पर आपको
मुझे आप सदा सदा से, युगों युगों से
प्रताड़ना-वंचित सा पा सकते हैं।
साहेब!
हत्या-अभ्यस्त हत्यारे का केवल चेहरा पढ़
क्या आप उसके द्वारा अंजाम दिए गये
लाखों गुनाहों को लख सकते हैं
नहीं न!
साधो!
सतत हत्या में रत एवं हत
दोनों का
चेहरा अक्सर नकली होता है!