हठ;कितना अंतर।
एक छोटा बच्चा,
जो हठ करता है दुर्लभ वस्तु पाने की।
जो रट रटता है, चन्द्र-सितारे लाने की।
एक परिपक्य मनुष्य,
जो धर्म बाँटने की ठान लेता है।
जो भाषाओं को भी अलग-अलग,
साम्प्रदायिकता जान लेता है।
दोनों हठधारा का,
एक ही पनघट है।
परन्तु एक है जीवन परिभाषा,
दूजी धू-धू करती मरघट है।
एक ईर्ष्या की अग्नि,
दूजी प्रेम समंदर है।
हैं तो दोनों ही हठ…,
परन्तु कितना अंतर है।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78